''काश'' के बादल छांटिए, उम्‍मीदों का सूरज जगमगाएगा


जीवन में हमें कल्‍पनाओं में जीने की आदत होती है। जिन चीजों को हम हासिल करना चाहते हैं उन्‍हें अपनी कल्‍पनाओं में तलाशने लगते हैं। कल्‍पनाओं का यह संसार इतना सुखद होता है कि वास्‍तविकता से परे हमें इसमें जीने में मजा आने लगता है और जब वास्तविक जीवन के परिणाम कल्‍पनाओं की तरह नहीं होते तो हम दुखी होने लगते हैं। हम जीवन में एक काश बना लेते हैं और हमेशा यह सोचते रहते हैं कि ''काश'' ऐसा हुआ होता तो आज मैं बहुत सुखी होता। धीरे-धीरे यह ''काश'' ही हमारे दुखों का कारण बन जाता है और हम वर्तमान जीवन के आनंद से विमुख हो जाते हैं। मेरा मानना है कि आप ''काश'' के बादलों को जीवन से छांटिएउम्‍मीद का सूरज आपको नजर आने लगेगा और आपके जीवन में एक नया उजास होगा।

''काश'' याने हमारी कल्‍पनाओं का संसार और कल्‍पनाओं का संसार याने वो सभी चीजें इन्‍हें हम हासिल नहीं कर सके लेकिन उनकी कल्‍पनाएं हमें सुखद अनुभव देती हैं। ऐसी कल्‍पनाएं हमें वर्तमान जीवन से दूर ले जाती हैं और हम वास्तविकता में जीना छोड़ देते हैं।

आपने देखा होगा कि बुजुर्ग अतीत में जीते हैं। वे कहते हैं कि हमारे समय ऐसा होता था हमारे समय वैसा होता थावो दिन कितने अच्‍छे थे। दूसरी ओर युवा हमेशा भविष्‍य मैं जीते हैं। वे सोचते हैं कि मैं वहां जाकर कुछ करूंगा या मैं ऐसा होने पर मैं बहुत खुश हो जाऊंगा। बुजुर्ग और युवा दोनों ही वर्तमान में नहीं जीते। वर्तमान में जीते हैं केवल बच्‍चे। बच्‍चे हर चीज को आश्‍चर्य के भाव से देखते हैं और उसे समझने की कोशिश करते हैं। एक दिन पहले क्‍या हुआ उसका उन्‍हें भान नहीं रहता न ही इस बात की कल्‍पना करते हैं कि कल क्‍या होगा। वे केवल वर्तमान में जीते हैं इसलिए वे हमेशा प्रसन्‍न रहते हैं। हमें बच्‍चों से यह बात सीखना चाहिए और वर्तमान पर ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए और वर्तमान में जीने का प्रयास करना चाहिए।



आप अतीत का प्रायश्चित मत कीजिए न ही भविष्‍य का डर मन में रखिए। केवल वर्तमान में जीने का प्रयास कीजिए। वर्तमान से विद्रोह भी मत कीजिएबल्कि इसे स्‍वीकार कीजिए। इसके साथ सामंजस्‍य स्‍थापित कीजिएधीरे-धीरे आगे बढ़िए। आप आसानी से भविष्‍य की सुनहरी मंज‍िल तक भी पहुंच जाएंगे और वर्तमान का आनंद भी ले पाएंगे।

अब आप सोच रहे होंगे कि वर्तमान में जीयें कैसे… यह भी बहुत आसान है हम वर्तमान में जीना तब छोडते हैं। जब हम चीजों का विस्‍मय और अवलोकन छोड देते हैं। ऐसे में अतीत की यादें और भविष्‍य की योजनाओं के विचार हमें घेरने लगते हैं। हमें सिर्फ विस्‍मय और अवलोकन करना है। जैसे उगते हुए सूर्य की लालिमा को देखिएपंछियों की चहचहाहट सुन‍िएफूलों व पेड़ों के रंगों में खोने का प्रयास कीजिए। ऐसा करने के लिए मैं इसलिए कह रहा हूं क्‍योंकि जीवन में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनके बारे में हम कितना भी सोच लें लेकिन उनमें परिवर्तन नहीं कर सकते। इसलिए ''काश'' को भूल जाईये क्‍यों कि हम न तो अतीत बदल सकते हैं न ही भविष्‍य देख सकते हैं। 



हमारे पास केवल वर्तमान है जीवन न तो अतीत में है न ही भविष्‍य में। जीवन तो इस क्षण का अनुभव हैतो आज आप मुझसे और खुद से वादा कीजिए कि जो समय चल रहा है उसे बेहतर बनाएंगे। खुलकर जीवन का आनंद लेंगे। इसके साथ ही अपने संतोष और खुशियों को भविष्‍य के भरोसे नहीं छोड़ेंगे।

 

टिप्पणियाँ

  1. बहुत यथार्थ व वास्तविक मै वादा करता हूँ की सदैव वर्तमान को जिएंगे।
    "आगे भी जाने न तू पीछे भी जाने न तू जो भी है यही एक पाल है"👍

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  2. सुनहरे भविष्य की आस में वर्तमान को नजर अंदाज करना जीवन की सबसे बड़ी भूल है।

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  3. सुमित भाई आपके प्ररेणादायक लेखों से निश्चित रूप से हमें सीख मिल रही है।

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  4. जीवन के प्रति अपना नजरिया सदैव सकारात्मक रखने के लिए आपका लेख हमें प्रेरित करता है धन्यवाद

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  5. सुमित भाई आपके प्रेरणादायक लेखों से निश्चित रूप से हमें सीखने को मिल रहा है।

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  6. सत्य है भैया आपका ब्लाॅक बहुत सुन्दर है। पहला भी बहुत शानदार था। किन्तु वर्तमान की समस्याओं से घिरने के बाद ऐसा लगता है वर्तमान शायद सही होगा इसलिए वर्तमान से आस करते है। क्यों कि भविष्य काल के गृभ में है उससे उम्मीदे रखते है। खैर हमारी बाते तो चला करेगी। किन्तु आपका ब्लाॅक बहुत ही सुन्दर। अगले अतिसुन्दर ब्लाॅक की उम्मीद आपके ब्लाॅक में मुझे बुढ़, बच्चे, जवान वाला भाव बहुत अच्छा लगा।
    मंगलकामनाओं के साथ....... आप के उज्ज्वल भविष्य के लिए

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  7. सुमित भाई युवा पीढ़ी के लिए बहुत ही अच्छा मागॄदशन दीया जिसके लिए हृदय से धन्यवाद 🙏🏻

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    1. हम सभी को अतीत से अच्छा सीखकर यदि गलती हो तो उसे भुलाकर वर्तमान में बेहतर करते हुए जीना है जो समय के हिसाब से नही चलता वह पिछड जाता है रहा सवाल सपने देखने का तो सभी सपने देखे और उसके अनुसार काम/मेहनत करें जरूर पुरे होगे और होते है और यह बात भी सही हैकि ईश्वर भी मेहनतीयों का साथ देता है।
      अखिलेश अत्रे खंडवा

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    2. हम सभी को अतीत से अच्छा सीखकर यदि गलती हो तो उसे भुलाकर वर्तमान में बेहतर करते हुए जीना है जो समय के हिसाब से नही चलता वह पिछड जाता है रहा सवाल सपने देखने का तो सभी सपने देखे और उसके अनुसार काम/मेहनत करें जरूर पुरे होगे और होते है और यह बात भी सही हैकि ईश्वर भी मेहनतीयों का साथ देता है।
      अखिलेश अत्रे खंडवा

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  8. बहुत शानदार भाई बहुत अच्छी बातें लिखी हैं आपने .....।👌👌👌👌👌

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  9. 👍🏻बहुत प्रेरणादायक, डाॅ नीरज दीक्षित, खंडवा

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  10. आज, कल और कल हमेशा से सामंजस्य बनाने का प्रयास करते आ रहे हैं पर वर्तमान में जीने वाला ही सबसे सामंजस्य बना पाता है। अति सुंदर लेखन भाई सुमित को ढेर सारी बधाइयाँ। 💐💐💐💐💐💐💐💐🙏

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