आत्मा से परमात्मा के संवाद का माध्यम है ''प्रार्थना''
जब भी हमारे सामने कोई विकट स्थिति आ जाती है तो हर तरफ बंद रास्तों
के बीच एक ही मार्ग नजर आता है वह है प्रार्थना। असल में प्रार्थना आत्मा से परमात्मा
के संवाद का माध्यम है। यह जरूरी नहीं कि हम किसी विशेष स्थान, समय या भाषा
में ही प्रार्थना करें, प्रार्थना तो समय, स्थान और भाषा की सीमाओं से परे है। केवल सच्चे भाव से आत्मा से निकली भावनाएं
सीधे परमात्मा से संवाद कर लेती हैं। जीवन में अगर कोई भी मुश्किल आ जाए तो परेशान
न हों क्योंकि ईश्वर की शक्ति हमारी हर मुश्किल से बड़ी है और ईश्वर की शक्ति
का आशीष हम प्रार्थना से ही प्राप्त कर सकते हैं।
प्रार्थना कोई कार्य नहीं बल्कि एक गुण है जो आत्मा से उत्पन्न होता
है। अपने मन की भावनाओं से ईश्वर को अवगत करना प्रार्थना का पहला चरण है, इसके बाद
हम अपनी सारी आशंकाएं, सारी चिंताएं, सारी
योजनाएं, सारे संकल्प और विकल्प ईश्वर के चरणों में समर्पित
कर देते हैं। किसी कार्य को लेकर अपनी पूरी योजना ईश्वर के समक्ष रख हम चिंतामुक्त
होकर कर्म में लीन हो सकते हैं। उस परमात्मा को मालूम है कि हमारे संकल्प का श्रेष्ठ
फल क्या है।
ईश्वर, अल्लाह, गुरूनानक, यीशु, बुद्ध, महावीर या गुरू आप
किसी को भी मानते हों इस ब्रह्मांड की वह शक्ति आपसे जुड़ी हुई है, जब आप उसकी ओर देखेंगे और उसे याद करेंगे तो वह शक्ति आपके पास आएगी। आपको
अनुभव होगा कि प्रार्थना आपको मुश्किलों में हिम्म्त देगी। प्रार्थना हमारी खुशियों,
उत्साह और उमंग को दोगुना कर देती है और हमारे जीवन में सकारात्मक
परिवर्तन लाती है। जब हम किसी अन्य व्यक्ति के लिए भी प्रार्थना करते हैं तो
हमारा मन भी साफ हो जाता है और हमारे मन को शांति मिलती है।
हमारे लिए ईश्वर की योजना को समझ पाना संभव नहीं है, इसलिए
किसी विकट स्थिति में हमें हालात, व्यक्ति या अन्य किसी को
दोष देने के बजाए उस परिस्थिति में हमारा साथ देने के लिए ईश्वर से आह्वान करना
चाहिए कि हे ईश्वर हमेशा मेरे साथ रहना, जब हमारा मालिक हमारे
साथ है तो हमें किसी चीज की चिंता नहीं होना चाहिए।
व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि हमें केवल मुश्किलों में ही प्रार्थना
नहीं करना चाहिए, बल्कि हमारे हर दिन की शुरूआत और समाप्ति भी प्रार्थना
से ही होना चाहिए। मैं आपको सुबह और रात को प्रार्थना की कुछ मुख्य बातें बताता हूं,
कुछ दिन यह प्रार्थना करके देखें, आप परमात्मा
से अपना संवाद स्थापित कर पाएंगे।
सुबह – हे ईश्वर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आपने मुझे जीवन, स्वस्थ
शरीर, अच्छा परिवार और अन्य सुविधाएं दीं। मैं आज के दिन का
पूरे दिल से स्वागत करता हूं, आज मेरा दिन जीवन के सर्वश्रेष्ठ
दिनों में से एक होने वाला है। मैं पूरी ऊर्जा से अपने कार्य करूंगा। इसके बाद वह बात
कहें जो आप ईश्वर से मांगना चाहते हैं।
रात – हे ईश्वर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आज मैंने जो सीखा, देखा,
समझा वह मेरे जीवन का बेहतर अनुभव रहा। मैं बहुत अच्छा फील कर रहा हूं,
दिनभर में जिन लोगों ने मेरी मदद की उनका धन्यवाद। मैं नई उमंग और ऊर्जा
के साथ कल सुबह उठूंगा और अपने कार्य करूंगा। इसके बाद अपने अगले दिन की योजना और वह
बात कहें जो आप ईश्वर से मांगना चाहते हैं।
यकीन मानिए जब प्रतिदिन आप ईश्वर से यह संवाद करेंगे तो आपके कार्य आपकी
योजना के अनुरूप हो सकेंगे, वहीं ईश्वर किसी न किसी माध्यम से इन प्रार्थनाओं का
जवाब भी जरूर देंगे, अगर हमारी प्रार्थना सच्ची है और प्रयास
पूरे दिल से किए गए हैं तो जीवन की हर परीक्षा में हम पास होंगे।
बहुत ही सार्थक आलेख🙏🙏👌👌
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने मन की शांती है प्रार्थना
जवाब देंहटाएंसुंदर एवम् अनुकरणीय 👍👍
जवाब देंहटाएंबेहतरीन.. .हर विषय पर गहरी पकड़ है
जवाब देंहटाएं💯% सही
जवाब देंहटाएंBahut Umda.
जवाब देंहटाएंBahut Sunder
Prathana keval Mangana nahi balki Us Ishwer ko Dhanyavad Dena bhi he Jisaki "Virasat" ke ham Sab Bashinde he
बहुत सुंदर
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