जीवन में ऐसे काम करो कि ''खुद से नजर मिला सको''

 

जीवन में हम हमेशा ही अपनी इच्‍छाओं के पीछे भागते रहते हैं, हम हर काम अपने प्‍लेज़र को बढ़ाने और पे को कम करने के लिए करते हैं कई बार हम इच्‍छाओं को पूरा करने के लिए अनजाने में ही अपनी सीमाओं को पार कर देते हैं। यह सीमाएं वैचारिक, पारिवारिक या सामाजिक हो सकती हैं। ऐसे हालात में हमें खुद ही अंदाजा नहीं रहता कि हम किस रास्‍ते पर आगे बढ़ रहे हैं लेकिन कई बार जब तक हम इसे समझ पाते हैं तब तक बहुत देर हो जाती है और हमें अपने ही कार्यों पर पछतावा होने लगता है। इससे बचने के लिए जीवन में अपने नियम बनाना और इंद्रियों पर काबू करना जरूरी है। याद रखिए कि जीवन में ऐसे ही काम करें कि हमेशा खुद से नजर मिला सकें।

आपने जीवन में कई खेल खेले होंगे क्रिकेट, फुटबॉल, कैरम या शतरंजअब जरा याद कीजिए कि इन खेलों में जीत-हार कौन तय करता है। शायद आप सोच रहे होंगे खेल में प्रदर्शन, आत्‍मविश्‍वास और कौशल यह फैसला करते हैं लेकिन यह गलत है, जब आप गहराई से सोचेंगे तो आपको पता चलेगा कि हर खेल में जीत-हार तय करते हैं उस खेल के नियम। जिस तरह नियमों के अभाव में किसी खेल की जय-पराजय का निर्णय नहीं लिया सकता, ठीक वैसे ही बिना नियमों के जीवन का फैसला नहीं हो सकता हमें जीवन का मापदंड तय करने के लिए नियम जरूरी हैं, नियमों का न होना अराजकता को निमंत्रण देने के समान हैवास्‍तव में यह नियम वह होते हैं जो जीवन में आपकी इंसानियत, ईमानदारी, परिवार के प्रति जिम्‍मेदारी, समाज के प्रति कर्तव्‍य और खुद के प्रति जवाबदेही को परिभाषित करते हैं इसलिए अगर जीवन में खुद से नजर मिलाना है और अपनी नजरों में नहीं गिरना है तो अपने जीवन के नियम तय कीजिए।

अगर आप जीवन में कोई गलत काम कर रहे हैं और आपको लग रहा है कि किसी को क्‍या पता चलेगा तो आप गलत हैं क्‍योंकि कोई ओर आपके बारे में धोखे में रह सकता है लेकिन आप खुद कभी अपने आप को धोखा नहीं दे सकते। आप स्‍वयं अपनी हरकतें, अपने विचार और अपने कर्म जानते हैं। ऐसे में गलत काम करके आप खुद से ही नजर नहीं मिला पाएंगे। याद रखिए जीवन की रणभूमि में कई बार गिरकर फिर उठना और फिर आगे बढ़ना आसान है लेकिन खुद की नजरों में गिरकर उठना बहुत मुश्किल है खुद की नजरों में गिरना जीवन की सबसे बढ़ी क्षति है।

ऐसे करें स्‍वयं का आत्‍म आकलन

-    अगर आपको जीवन में बेईमानी करने या रिश्‍वत लेने का अवसर मिला हो और आपने उसे ठुकरा दिया हो, क्‍योंकि हर व्‍यक्ति तब तक ईमानदार है जब तक उसे बेईमानी का अवसर न मिले

-    जीवन में किसी भी काम को करने से पहले सोचें कि अगर मेरे माता-पिता या पति-पत्‍नी-बच्‍चे यह करते हुए मुझे देखेंगे तो क्‍या सोचेगें। जो जवाब मिलेगा उससे आप उस कार्य का अंदाजा खुद ही लगा लेंगे।

-    अगर आपको लगता है कि आप में इंसानियत है तो सोचिए कि क्‍या अपने परिवार, रिश्‍तेदार या दोस्‍तों की जरूरत के समय आप उनके साथ खड़े थे या वहां नहीं पहुंचने के बहाने तलाश रहे थे

-    समाज के प्रति तय जिम्‍मेदारियों को आप कैसे निभाते हैं, चाहे वह मतदान की हो या टैक्‍स जमा करने की। कचरा जगह पर फेंकने की हो या किसी दूसरे के अधिकारों का हनन न करने की।

-    आखिरी में सबसे महत्‍वपूर्ण बात कि अपने आप से पूछें, अपनी अंतरात्‍मा से पूछें कि आप वर्तमान में जो कर रहे हैं क्‍या यही आपकी वास्‍तविकता है, क्‍या यही आपके जीवन का लक्ष्‍य है, क्‍या यही वह कर्म हैं जो आपको ख्‍याति व आत्‍मसंतुष्टि दिला सकता है

-    अपने आप को चुनौती दें कि आप स्‍वयं से नजर मिला सकते हैं, कई प्रश्‍नों के जवाब खुद ही मिल जाएंगेयाद रखिए कि जीवन में सबसे महत्‍वपूर्ण है अपनी नजरों में खुद को साबित करना।

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही उत्तम व प्रेरणादायी👍👏

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  2. नमस्कार सुमित जी आज जो आपने ध्यान आकर्षित किया है अपनी नजरों में सही बने रहना यह वास्तविक जीवन में बहुत ही जरूरी होता है

    अंतिम यह कहूंगा 6 पॉइंट अंतिम पंक्ति में लिखे गए हैं वह बहुत ही अच्छी भाषा बहुत ही अच्छा मार्गदर्शन

    कभी जीवन में किसी से मिलने पर खुद से नजर मिला सको,
    मत पूछ कि क्या हाल है ,मेरा तेरे आगे तू देख क्या रंग है तेरा मेरे आगे।

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  3. अति उत्तम विचार .
    भाई सुमित अवस्थी तुम जब 1st स्टैंडर्ड मे थे तब से ही तुम्हारी सुंदर लिखावट से ही आभास हो जाता था की इन शब्दो मे बहुत कुछ गहराई छुपी है, keep it up dear.

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