लाइफ में बैकअप देता है स्नेह का अटूट रिश्ता
जिस तरह मां हमारी पहली गुरु होती है उसी तरह भाई-बहन हमारे पहले दोस्त। बहन जो भाई को मम्मी-पापा की डांट से बचाती है तो भाई जो बहन की समस्या का समाधान बन जाता है। जब भाई हंसता हैं तो बहन खिल जाती है और जब बहन रोती है तो भाई बहलाता है। असल में स्नेह के धागे से बना यह अटूट रिश्ता हमारी जिंदगी का बैकअप होता है। बस जरूरी है कि भाई-बहन एक दूसरे की खुशियों में नाचें भी और गम आने पर गले लगाने और सहारा बनने भी सबसे पहले पहुंच जाएं। बस इतना कर लिया तो यह रिश्ता स्नेह, विश्वास, अपनेपन और सुरक्षा का प्रतीक बन जाएगा।
आज भले ही कोई आलीशान मकान में रह रहा हो, लाखों रुपए सैलरी हो, बहुत लग्जरी कार हो, सोशल मीडिया पर हजारों फॉलोअर हों लेकिन मन की बात कहने के लिए आज भी दिल भाई-बहन को ही ढूंढता है। यह ऐसा रिश्ता है जहां छोटे-छोटे झगड़े भी होते हैं लेकिन मन के भावों की बड़ी गहराई भी होती है। जो बिना कहे हमारी बात समझ ले, जो हमारी पसंद-नापसंद को जानता हो, हर सुख-दुख में सबसे पहले याद आता हो और हमारा सहारा बन के हमें गले लगा लेता हो। ऐसा स्नेह का रिश्ता रेशम की डोरी से बंधने वाला संसार का सबसे मजबूत बंधन है।
वैसे तो दुनिया में हर चीज का मोल है लेकिन कुछ रिश्ते अनमोल हैं, उन्हीं में से एक है भाई बहन का रिश्ता। इसकी सभी रिश्तों के बीच एक अलग पहचान है। जैसे ही स्नेह शब्द का उल्लेख आता है वैसे ही हमें एक दूसरे की छवि नजर आने लगती है। भाई-बहन के रिश्ते में जहां नोकझोंक है वहीं मित्रता का भाव भी है। भाई-बहन का रिश्ता कभी पिता का संबल बन जाता है तो कभी मां की ममता, कभी दोस्ती का एहसास कराता है तो कभी संतान की तरह सुख की अनुभूति दे जाता है। बस जरूरी है इस रिश्ते को प्रेम के पानी से सींच कर सहेजने की। फिर सावन की पूर्णिमा पर आने वाला यह बंधन का पर्व आपको जीवन भर हरियाली देगा
*ऐसे सहेजें स्नेह के बंधन को*
आप जीवन में कितने भी व्यस्त हों लेकिन रक्षाबंधन जैसे त्योहारों पर अपने भाई-बहन के पास पहुंचने का पूरा प्रयास करें।
एक दूसरे से कभी इतनी दूरी मत बना लेना कि भाई कलाई तकता रहे तो बहन बुलावे की बाट जोहती रह जाए।
रक्षाबंधन का दिन अपने आप में खास है, हम भाई-बहन के पास पहुंच कर भी कई बार इस दिन को केवल बिताते हैं मनाते नहीं, कुछ देर के लिए आप सारे काम छोड़कर केवल स्नेह के रिश्ते की सुनहरी यादों को ताजा करें और इस दिन को जिएं।
अगर आपके स्नेह का रिश्ता उधड़ रहा है तो आज सबसे बेहतर दिन है कि आप उसकी तुरपाई कर लें।
अपने भाई-बहन को एहसास कराएं की हमने बचपन में कितने सुख-दुख साथ बिताए हैं और यही क्रम जिंदगी भर आगे बढ़ाने का वचन दें।
अगर किसी मजबूरी के कारण भाई-बहन आज के दिन भी नहीं मिल पाएं तो कम से कम उन्हें फोन करें, कोई अच्छी सी याद साझा करें, बचपन की कोई कहानी को दोहराएं और एक दूसरे के मन को भावों से भर दें।
स्नेह का रिश्ता महंगे गिफ्ट, बहुत से पैसे और मॉल से खरीदारी में नहीं है यह रिश्ता तो एक दूसरे को समझने, सहारा बनने और वादा निभाने में है।
आज के दिन आप पास हो या दूर अपने भाई-बहन से जरूर कहें मेरा प्यार सदा है तेरे लिए, तेरी खुशियां मैं सदा यूं ही सजाता रहूँ।
आपसे मेरा स्नेह का रिश्ता यूं ही बना रहे............. आपका सुमित
क्या बात है सुमित जी आपको एवं सभी को रक्षाबंधन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं मुझे पहले से आभास ही गया था कि आज 22 अगस्त को संडे के दिन आपका ब्लॉक ध्यानाकर्षण रक्षाबंधन ओर बहन भाई के प्यार के अटूट बंधन की ओर ही होगा बहुत अच्छी प्रतिक्रिया बहुत अच्छा आपका सुझाव अनुभव बहुत-बहुत आभार धन्यवाद आपको
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, सुमित जी आपके ब्लॉग प्रायः बहुत सुंदर होते, रक्षा बंधन पर भेजा गया यह ब्लॉग भी अत्यंत मन भावन है, आपने भाई बहनों के साथ संपूर्ण परिवार का बहुत अच्छे तरीके समायोजन किया है, आप भविष्य में बहुत उन्नति करें, इन्ही शुभकामनाओं के साथ, रक्षा बंधन की हार्दिक बधाइयाँ.
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