आप हैं अपने जीवनसाथी के रहनुमा…
आज के दौर में सबसे ज्यादा चुटकुले सुनाई देते हैं तो पति-पत्नी पर, शिकायतें सुनाई देती हैं तो पति-पत्नी की और कंपेंरिजन सुनाई देते हैं तो वह भी पति-पत्नी को लेकर। कहने को सात जन्मों के लिए बंधा यह रिश्ता आज विवाद, विवशता और व्यंग्यों में उलझा नजर आता है। पति-पत्नी वचन तो लेते हैं जीवन भर साथ निभाने का लेकिन एक-दूसरे में कमियां निकालकर और दूसरों से कंपेयर कर अपने रिश्ते को कमजोर बना देते हैं। करवा चौथ हमें याद दिलाता है कि यह रिश्ता कितना जरूरी है और इसके सहारे जीवन कितना सरल है। भले रिश्ते में थोड़ी तकरार हो, रूठना-मनाना हो लेकिन आप हैं अपने जीवन साथ के रहनुमा…
पति और पत्नी के रिश्ते को
सबसे मजबूत इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सिर्फ इस जन्म नहीं बल्कि सात जन्मों के लिए
जुड़ता है लेकिन कई बार इस रिश्ते को समझने की जगह लोग इसे उलझा देते हैं और फिर इसे
सुलझाने की जगह इन उलझनों का बखान अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से करते रहते हैं। शुरू
में व्यंग्य और तानों से शुरू हुई यह उलझनें बाद में विवाद और टकराव तक ले जाती हैं।
अगर इन उलझनों को समय रहते सुलझा लिया जाए तो इससे खूबसूरत कोई ओर रिश्ता नहीं। वास्तव
में देखा जाए तो पति-पत्नी यानी वह हमसफर जो आप पर निर्भर है, उसे जरूरत है परवाह की और समर्पण की। तभी इस रिश्ते में मधुरता बनाई जा सकती
है।
इस रिश्ते की गहराई का अंदाजा
इसी बात से लगा लिया जाता है कि हर रिश्ते का नाम लेने के लिए आपको दो शब्दों की जरूरत
होती है जैसे मां-बेटा, बाप-बेटी, भाई-बहन,
चाचा-भतीजा लेकिन सिर्फ यही रिश्ता है जो सिर्फ एक शब्द में बयां हो
जाता हे जीवनसाथी। जीवनसाथी यानी जीवनभर के लिए एक साथी को स्वीकारना और इस स्वीकार्यता
में उसकी अच्छाई-बुराई, उसके गुण-दोष सब शामिल हैं। एक-दूसरे
में दोष ढूंढने और उसके गुणों को नजरंदाज करने से इस संबंध का नाश हो जाता है। तो चलिए
जानते हैं कि आप कैसे जीवनसाथी हैं। हम चर्चा करते हैं कुछ कसौटियों व सलाहों की जिन्हें
अपनाकर आप इस रिश्ते में चार चांद लगा सकते हैं।
करवा चौथ पर खुद में परखें यह चार कसौटियां
पति की चार कसौटी
केयरलेस नहीं, केयरिंग बनें – अपनी पत्नी के प्रति केयरलेस न बनें,
उसके कार्यों की कद्र करें, उसकी भावनाओं की केयर
करें और उसे कभी अकेलेपन का अहसास न होने दें।
कंपेंयर नहीं, कॉम्प्लिमेंट दें – दूसरी महिलाओं की
सुंदरता, कला और कार्य से अपनी पत्नी को कंपेंयर न करें,
बल्कि परिवार में उसकी अहम भूमिका और उसके विशेष कार्यों पर उसे कॉम्प्लिमेंट
दें।
दिखावा नहीं, प्यार करें – रिश्तेदारों और दोस्तों के सामने अपनी पत्नी
को विशेष बताने या स्वयं को उसके प्रति समर्पित बताने का दिखावा न करें, बल्कि पत्नी को वास्तविक प्यार दें, उसे समझें और
सराहें।
पत्नी की राय को करें शामिल – परिवार के किसी फैसले, घर में किसी नई वस्तु की खरीदी या जीवन के किसी बड़े फैसले में अपनी पत्नी की राय को शामिल करें, उसके विचारों को सम्मान दें।
पत्नी की चार कसौटी
पति हो प्राथमिकता – विवाह
के बाद पति पूरी तरह पत्नी पर निर्भर हो जाता है, ऐसे में पत्नियों की जिम्मेदारी है कि वे पति को प्राथमिकता दें,
उसके विचारों को जानें और उससे संवाद करें।
मायके का महत्व न गिनाएं
– कई बार पत्नी हर बात में अपने मायके के उदाहरण देने लगती है, ऐसे में पति के स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है और आपसी रिश्ते
में खटास आती है, ऐसे में मायके को जरूरत से अधिक महत्व देने
से बचें।
डिमांड नहीं, डिस्कस करें – पड़ोसियों की कार, रिश्तेदारों
के फ्लैट और किसी सहेली के पति की प्रमोशन देखकर उसे पति से कंपेयर न करें,
हर चीज में डिमांड करने की जगह आवश्यक वस्तुओं पर डिस्कस करें और
प्राथमिकता के आधार पर उन्हें जीवन का हिस्सा बनाएं।
रिश्तों को कॉमन मानें – विवाह के बाद महिला अपने ससुराल में आती है, ऐसे में उसकी जिम्मेदारी है कि वह पति के माता-पिता, भाई-बहन और अन्य रिश्तेदारों के साथ वह उसी स्नेह से निभाए जैसे उसके स्वयं के रिश्तेदारों के साथ निभाती है।
हर बार की तरह बेहतरीन.....
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