क्‍या आपका दिल भी बच्‍चा है जी

कभी तितलियों के पीछे भागना तो कभी बरसात के पानी में अपनी नाव चलाना, कई बार गिरने के बाद भी पूरी लगन से साइकल चलाना सीखना हो या झगड़ा हो जाने के कुछ देर बाद ही मुस्‍कुराकर उन्‍हीं लोगों के साथ फिर खेलने लगना… यह बातें सुनकर आप इतना तो समझ ही गए होंगे कि मैं बात कर रहा हूं बचपन की। जी हां बिंदास, चिंतामुक्‍त, मस्‍ती से भरा हुआ और आनंददायी बचपन। हम सभी बचपन को याद कर मुस्‍कुरा उठते हैं और सोचते हैं कि वो दिन भी क्‍या दिन थे लेकिन क्‍या कभी आपने सोचा कि वो दिन बदल क्‍यों गए, आप सोचेंगे क्‍योंकि हम बड़े हो गए लेकिन नहीं क्‍योंकि हमारे अंदर का बच्‍चा कहीं खो गया। जी हां अगर आप जिंदगी को खुलकर जीना चाहते हैं, मस्‍त रहना चाहते हैं और हर पल का पूरा आनंद उठाना चाहते हैं तो अपने अंदर के बच्‍चे को हमेशा जिंदा रखिए, आज कुछ समय निकालकर खुद से पूछिए कि क्‍या आपका दिल भी बच्‍चा है जी

कई बार हमें जीवन में केवल अंधकार दिखता है और हम परिस्थितियों के आगे हार मान लेते हैं। अब जरा सोचिए कि क्‍या कभी बचपन में हम हार मानते थे, नहीं। घरवालों से कोई बात मनवाना हो या साइकिल सीखना, दोस्‍तों के साथ दिनभर तेज धूप में खेलना हो या स्‍कूल की किसी स्‍पर्धा में अव्‍वल आना। हम लक्ष्‍य के लिए आखिरी प्रयास तक जुटे रहते थे, बस यही सोच अब भी चाहिए। बस एक बार अपने अंदर के बच्‍चे को जिंदा कीजिएगा

हम जैसे जैसे बड़े होते हैं वैसे वैसे हम हार मानना सीख लेते हैं और हम अपने अंदर के बच्‍चे को मार देते हैं। बाल दिवस हमें याद दिलाता है अपने बचपन के दिन। चलिए थोड़ी देर के लिए अपने बचपन के सफर में चलते हैं और खो जाते हैं उन रंगीन यादों में। बचपन याने जिंदगी के सबसे खुशनुमा दिन, जिद करके अपनी हर बात मनवा लेना, न किसी तर्क से मतलब न कोई अहंकार, बस मस्‍ती और आनंद का सफर। अगर आपके अंदर आपका बचपन आज भी जिंदा है तो यकीन मानिए वह आपको कभी हारने नहीं देगा, जिद करेगा और आगे बढ़ाएगा। मायूस नहीं होने देगा बल्कि मस्‍ती कराएगा।

अगर आप भी अपनी जिंदगी को पूरी तरह जीना चाहते हैं तो अपने मन के दरवाजों को खोलिए, गंभीरता के पर्दों को हटाईये, जिस जिंदादिली को मायूसी के खुटे से बांधकर रखा है उसे दम लगाकर छुड़ाईये। अब अपने जीवन के शामियानें को सजाने के लिए बच्‍चे बन जाईये। जब आप ऐसा करेंगे तो आपको भी लगेगा कि बासी जिंदगी की उदासी भी हंसने को है राजी। बस जरूरत है दिल को बच्‍चा बनाने की। अगर आप ऐसा करने में कामयाब हुए तो खुशियों के आसमां का रास्‍ता खुल जाएगा, जो मुस्‍कान का सितारा खो गया था मिल जाएगा, जिंदगी और हौंसला जगमगाएगा।

ऐसे लौटेगा आपका बचपन


बातों को पकड़कर मत बैठिए

जैसे बच्‍चे खेलते-खेलते झगड़ते हैं, लड़ते हैं और कुछ देर बाद फिर एकसाथ खेलने लगते हैं, बस वैसे ही किसी बात को पकड़कर मत बैठ‍िए, पुरानी बातों को भूलकर आगे देखिए।

छोटी सी खुशी को इंजॉय कीजिए

जैसे बचपन में एक चॉकलेट, तेज बरसात में अचानक स्‍कूल की छुट्टी या साइकिल के लंबे राउंड में खुश हो जाया करते थे, वैसे ही जीवन की खुशियों का पूरा आनंद लीजिए

जीवन में भर दीजिए उत्‍साह

रंगीन तितली, पानी में कागज की नाव या हवा में कॉपी के पन्‍ने के हवाई जहान उड़ाने वाले उत्‍साह को जीवन का हिस्‍सा बना लीजिए।

ओवरथिंक-ओवरएनालिसिन न करें

बच्‍चों की तरह बस मस्‍त रहें, न किसी बात को लेकर ओवरथिंकिंग करें न ही किसी बात पर ओवरएनालिसिस, बस जो हो रहा है उसे पूरी शिद्दत से जीयें।

बिना झिझक के प्रयास करते रहिए

याद कीजिए बचपन में चलने या साइकिल सीखने के प्रयास में आप कितनी बार गिरे थे लेकिन आपने प्रयास करना नहीं छोड़ा, वैसे ही आज भी हर काम को बिना झिझक के करते रहिए।

तो चलिए बचपन की आजादी में उड़ते हैं और छोड़ देते हैं सारे बंधनों को। सर्दी में धूप की किरणों से बचपन को जिंदा करते हैं, बचपन हमारे मन के अंधेरों को रोशन देगा। याद रखिए जैसे मोहल्‍ले की रौनक गलियों की गूंज है वैसे ही आपके जीवन की रौनक बचपन है।

आपका सुमित

टिप्पणियाँ

  1. अत्यंत महत्वपूर्ण एवं सामयिक विचार

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  2. वाह सुमित जी नमस्कार हैप्पी चिल्ड्रंस डे दिल तो बच्चा है जी आपके विचार बहुत ही अद्भुत और शानदार इसी प्रकार मार्गदर्शन करते रहें और यकीनन जीवन में वह बचपन की याद तो याद है उसको कभी नहीं भुलाया जा सकता यही दिल हमेशा बच्चों जैसा होना भी चाहिए कुछ मस्ती शरारत जीवन में जरूरी है यूं तो जिंदगी योगी बहुत तनावपूर्ण और कशमकश भरी है यकीनन 1 दिन में एक बार समय निकालकर बच्चों के साथ बच्चे जैसा दिल रखना पड़ता है उसी से खुशी मिलती है

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  3. जब आप किसी को माफ कर देते हो ,तो मन मे काफी हल्का सा हो जाता हैं,

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  4. वहा सुमित जी अच्छा मार्ग दर्शन दिया

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