जिंदगी का सुकून छीन सकता है आपका इरिटेशन
जिंदगी में बस सुकून चाहिए... जीवन में कई बार आपने यह बात पढ़ी, सूनी या महसूस की होगी। हम कितने ही अच्छे पदों पर पहुंच जाएं, अच्छा कारोबार कर लें या प्रतिष्ठित हो जाएं लेकिन हमें जिंदगी में एक सुकून चाहिए। कहीं न कहीं सारे संसाधनों को जुटाने या सफलता हासिल करने के पीछे का उद्देश्य ही यह होता है कि हमें जिंदगी में सुकून चाहिए लेकिन इस सुकून का सबसे बड़ा दुश्मन है इरिटेशन... जी हां आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम छोटी-छोटी बातों पर इरिटेट होने लगते हैं, कभी प्रोफेशनल वर्क हमें इरिटेट करता है तो कभी पर्सनल लाइफ। ऐसे में हम जिंदगी के सुकून को ताक पर रखकर एंग्जायटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन की ओर चले जाते हैं लेकिन अगर सिर्फ अपने इरिटेशन पर काबू कर लिया जाए तो आप जिंदगी के सुकून को हासिल कर सकते हैं।
इरिटेशन केवल एक विचार है जो उस समय हमारे दिमाग पर हावी हो जाता है जब कोई हमारे बिलिव सिस्टम से अलग बात कर देता है। असल में हमने अपने दिमाग में एक सिस्टम सेट करके रखा है जिसमें हम खुद को परफेक्ट समझते हैं। हमें किसी बात का रिजेक्शन बर्दाश्त नहीं होता, अपनी नापसंद से जुड़े हर काम को हम अपनी इमेज से जोड़कर देखने लगते हैं, कभी हमें लगता है कि हम संस्थान के लिए बहुत काम कर रहे हैं लेकिन कोई भी सलाह या सुझाव भी हमारा ईगो हर्ट कर जाता है, हम अपने टेंप्रामेंट से अलग कुछ भी करने को तैयार ही नहीं होते। बस यहीं से जन्म होता है इरिटेशन का। धीरे-धीरे हमें हर सलाह, मार्गदर्शन या अपने बिलिव सिस्टम से अलग काम इरिटेट करने लगता है। हमें यहां जरूरत होती है एक ब्रेक की, माइंड को कुछ ऑप्शन देने की और तीन तरह के संवाद की। पहला संवाद अपने आप से, दूसरा संवाद ईश्वर से और तीसरा संवाद अपने मेंटर, फ्रेंड या गाइड से। इन संवादों के जरिए हम समझ सकते हैं कि लाइफ के बदलाव हमें इरिटेट क्यों कर रहे हैं।
माइंड की कंडिशनिंग के लेवल पर अगर हम इरिटेशन को समझे तो हम पाएंगे कि हमें इरिटेशन अपने आप आ रहा है। हम इरिटेट होना नहीं चाह रहे लेकिन फिर भी इरिटेट हो रहे हैं क्योंकि हमारा मन हमारे निर्देशों का पालन नहीं कर रहा। मतलब अगर हम अपने मन को निर्देश देने की स्थिति में होते तो हम उसे खुश रहने को कहेंगे, न कि इरिटेट होने को। असल में हमारे बाहरी जीवन में जो घटित हो रहा है, वह हमारी चेतना को संचालित कर रहा है। अगर ऑफिस में, परिवार में, अन्य बाहरी आवरण में सब अच्छा है तो हमारा मन भी अच्छा है। जबकि यह गलत है। यह मानव चेतना नहीं है, मानव चेतना वह है कि अगर आपके अंदर सब ठीक है तो बाहर सब अपने आप ठीक हो जाएगा और अगर आपके अंदर कुछ ठीक नहीं है तो बाहर कुछ ठीक नहीं हो सकता। इसलिए हमको अपने मन पर काम करना होगा।
इरिटेशन से बचने के आइडिया
Ø किसी भी बात को, कार्य को या बिलिव को बहुत ज्यादा पकड़कर न रखें, क्योंकि कि जब तक आप किसी एक चीज को पकड़कर रखेंगे आप दूसरी चीज को समझने का प्रयास ही नहीं करेंगे।
Ø जब भी कोई आपके बिलिव सिस्टम से अलग बात करें तो तुरंत प्रतिक्रिया देने की जगह 10 से 1 तक उल्टी गिनती गिनें और सोचें कि क्या आपका उसे जवाब देना सही है।
Ø कौन गलत है कि बहस से दूर होकर क्या गलत है पर चर्चा कीजिए, क्योंकि अगर क्या गलत है उसे सुधार लिया तो किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराना होगा।
Ø काम के बीच लगातार ब्रेक लें, प्रतिदिन 9-10
घंटे से अधिक काम न करें, सप्ताह में एक बार अपने काम से ब्रेक जरूर लें, दोस्तों से मिलें, मूवी देखें, घूमने जाएं और माइंड को डायवर्ट करें।
Ø अगर बार-बार किसी कार्य या योजना को लेकर आप इरिटेट हो रहे हैं तो उसके बिंदुओं को कागज पर लिखें और संबंधित व्यक्ति से जब तक चर्चा करें जब तक सहमति से किसी निष्कर्ष पर न पहुंच जाएं।
Ø कभी भी इरिटेशन या स्ट्रेस फील हो रही हो तो कभी भी अल्कोहल, सिगरेट या टोबेको प्रोडक्ट का सहारा न लें, बल्कि इसे अपने माइंड से डिस्कस करें।
Ø जीवन में एक बात हमेशा याद रखें, जो चीजें हम यूनीवर्स में छोड़ते हैं वही पलटकर वापस आती हैं, वह इरिटेशन हो या सॉल्यूशन।
Very good.
जवाब देंहटाएंनमस्कार सुमित जी बहुत ही अच्छा ध्यान आकर्षित इरिटेशन को लेकर आपने जो मार्गदर्शन दिया है बहुत काबिले तारीफ सुंदर लेख बहुत-बहुत आभार धन्यवाद इसी तरह जीवन में आप हर चीज में हर फील्ड में जीवन की हर दुख सुख की चीजों को साझा करते हैं बहुत अच्छा लगता है पढ़ कर देख कर समझ कर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर यथार्थ और सटीक ,,,
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