अनकंडिशनल लव...
हम सभी प्यार करना भी चाहते हैं और प्यार पाना भी। प्यार कई रूपों में हमारे साथ हो सकता है वह परिवार से हो, दोस्तों से या जीवनसाथी से... लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी है प्यार को समझना। हम अपने अनुभवों के आधार पर प्यार को समझते हैं, किसी के लिए सुंदरता के आकर्षण में खोना प्यार है तो किसी के लिए अपनी चाहत को पा लेना प्यार है। कोई महंगे उपहारों को प्यार कहता है तो कोई प्रेम संबंध खत्म होने पर खुद को दुनिया से दूर कर अपने प्यार को महान बताने की कोशिश करता है लेकिन वास्तव में प्यार न तो किसी रंग-बिरंगे कागज में लिपटा उपहार है न ही किसी गुलदस्ते में महकता फूल। प्यार वह है जहां आपकी सारी कंडिशन खत्म हो जाती हों, जहां दूसरे की खुशी आपको अंदर से खुशी देने लगती हो। जब I LOVE YOU में से I और YOU दोनों हट जाते हैं तब बचा हुआ LOVE ही अनकंडिशनल लव है।
हमारे हर रिश्ते में कोई न कोई कंडिशन होती है। बचपन में हम उनसे दोस्ती करते हैं जिनके साथ खेल सकें, बड़े होकर उनके साथ रहना पसंद करते हैं जिनसे पढ़ाई या अन्य चीजों में मदद ले सकें। धीरे-धीरे यह हमारे व्यवहार में आ जाता है तो जब हम प्यार करते हैं तो वहां भी हमारी कंडिशन लागू करने लगते हैं। हम इमोशनल, फाइनेंशियल, फिजिकल और साइकोलॉजिकल नीड को अपने प्यार की कंडिशन में डाल देते हैं, ऐसे में हम दूसरे व्यक्ति से खुशियों को निचोड़ने का प्रयास करते हैं और जब तक यह सिलसिला चलता रहता है तब तक यह हमें खुशियों का अहसास कराता है लेकिन जब हम इसमें सफल नहीं होते तो हमारा प्यार कम होने लगता है। एक-दूसरे की गलतियां नजर आने लगती हैं और हम प्यार को खत्म करने लगते हैं। इसके बाद अगर हम साथ भी रह रहे हों तो भी वहां रिश्तों के केवल टैग रह जाते हैं प्यार नहीं।
अगर आप किसी से अनकंडिशनल लव करते हैं तो इसमें समर्पण और परवाह नजर आएगी। उसकी खुशी में प्रसन्न होना, उसकी पसंद का ख्याल रखना, उसकी बात ध्यान से सुनना, उसकी समस्या का हल निकालना, अपने ज्ञान व अनुभव से उसका मार्गदर्शन करना, उसके आराम का ध्यान रखना और मुश्किल समय में हमेशा उसके साथ खड़े रहना ही प्यार है। प्रेम किसी से सुख पाने का नहीं बल्कि किसी को सुख देने का नाम है। प्रेम के सूत्र तो समर्पण और परवाह के धागे में बंधे होते हैं। जो इस धागे में बंध गया समझो प्रेम का ढाई आखर समझ गया।
क्या हैं अनकंडिशनल लव के सूत्र
- प्यार कोई ऐसी चीज नहीं जिसे पाया जाता है बल्कि प्यार बना जाता हैं, हां बिलकुल आप खुद को प्यार बना लीजिए। आप खुद को प्यार बना लेंगे तो भावनाओं के स्तर पर आप जिसे चाहते हैं आपका समर्पण स्वतः ही उसके प्रति हो जाएगा।
- प्यार में कभी अपने साथी से खुशियों को निचोड़ने का प्रयास न करें बल्कि उसका साथ निभाने और खुशियों को साझा करने का प्रयास करें, क्योंकि जब आप ऐसा करेंगे तभी आप प्रेम के सही अर्थों तक पहुंच पाएंगे।
- अगर आप किसी से प्रेम का रिश्ता बनाना चाहते हैं तो केवल उसकी भावनाओं के, मन के और आपसी समझ के मापदंड़ों के आधार पर रिश्तों को जोड़ें, इसमें फिजिकल, फाइनेंशियल और सोशल स्टेटस की नीड को तोलकर रिश्ता न बनाएं।
- यदि कोई आपके प्रेम को नहीं समझ रहा तो उदास न हों, छल या बल से उसे पाने का प्रयास भी न करें, बल्कि उसे स्वतंत्र छोड़ दें और उससे अनकंडिशनल लव करते रहें, यकीन मानिए आपकी भावनाएं उसी प्रेम के साथ आपकी ओर लौटकर आएंगी।
- वास्तव में प्यार भावनाओं की एक मिठास है। प्रेम एक तरह का योग है जिसमें सब जुड़ जाता है। इसमें आप दो से एक हो जाते हैं, इस योग में न I है न YOU है बस LOVE है।
- अगर कोई आपके साथ इस अनकंडिशनल रिश्ते को निभा रहा है तो उसे पहचानें, क्योंकि जो आपको पूरे दिल से चाहता है वह मुश्किल से मिलता है और ऐसा जो कोई कहीं है बस वही सबसे हंसी है।
Gurudev ��
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