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जिम्मेदारियां निभाने से मिलेगा ‘‘आजादी का अमृत’’

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हम देश की आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। पूरा देश में तिरंगे लहलहा रहे हैं। हम सभी एक-दूसरे को स्वतंत्रता की बधाई दे रहे हैं क्योंकि आजादी शब्द ही ऐसा है जो स्वच्छंदता का अहसास कराता है। स्वतंत्रता शब्द सुनते ही हमें अपने अधिकारों का अनुभव होने लगता है लेकिन हम अपने अधिकार पाने की दौड़ में कई बार इस सीमा तक चले जाते हैं कि अपनी जिम्मेदारियों का बोध ही भूल जाते हैं। ऐसे में हमारे नैतिक जीवन का संतुलन बिगड़ जाता है। अधिकार हमारे लिए जरूरी हैं लेकिन देश के प्रति हमारी जिम्मेदारियां अत्यंत जरूरी हैं। हम सभी जब अपनी जिम्मेदारियां निभाएंगे तभी हमें ‘‘आजादी का अमृत’’ मिलेगा। अधिकार और कर्तव्‍य एक-दूसरे के सहगामी हैं ,  यह स्‍पष्‍ट करने के लिए मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं। एक बार एक गांव में चार मित्रों ने साझेदारी में गाय खरीदी। यह तय हुआ कि प्रतिदिन एक-एक साझेदार उस गाय को रखेगा।   प्रतिदिन हर व्‍यक्ति उस गाय का दूध निकाल लेता लेकिन उसे चारा नहीं खिलाता ,  वह सोचता कि कल वाले साझेदार ने चारा खिलाया ही होगा और कल फिर उसे चारा मिल जाएगा तो मैं गाय को चारा नहीं भी खिलाऊंगा तो...

चिराग से निकले जिन्न की तरह होता है "दोस्त"

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  अंग्रेजी में दोस्ती पर एक कहावत है A friend in need is a friend indeed इसका अर्थ है कि सच्चा मित्र वही है जो समय पर काम आए... अगर हम अपने शब्दों में कहें तो दोस्त बिलकुल चिराग से निकले जिन्न की तरह होता है कि मुसीबत  में हम चिराग रगड़ें और जिन्न (दोस्त) सामने आकर कहे कि बोल अब क्या रायता फैलाया है , जिसे समेटना है। दोस्ती का रिश्ता होता ही इतना खास है कि उसमें कोई कंडिशन नहीं होतीं। यह एक बहुत ही अनोखा रिश्ता है जो कभी घाव पर मरहम बन जाता है तो कभी तेज धूप में छांव। हमारा सच्चा दोस्त वह है जो मुश्किल समय में हमारे कंधे पर हाथ रखकर कह दे कि मैं हूं ना , सब ठीक हो जाएगा। दोस्‍ती कोई समझौता या कारोबार नहीं है जिसमें लेन-देन किया जाए , बल्कि यह तो प्‍योर बॉन्‍ड है जो हमें समझता भी है और समझाता भी है , इसलिए हमारे दोस्‍तों को कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारी हैसियत क्‍या है , हम कैसे दिखते हैं या हम क्‍या करते हैं। दोस्‍त तो वह हैं जिन्‍हें खुद पता चल जाता है कि हमें उनकी जरूरत कब है , उनके क्‍या करने पर हम खुश होंगे , कैसे वह हमें हमारी मुश्किल से बाहर निकाल पाएंगे। दोस्‍ती वह पॉ...