जीवन की सबसे बड़ी क्षति है किसी की नजरों में गिरना
जीवन में हम हमेशा ही अपनी इच्छाओं के पीछे भागते रहते हैं , हम हर काम अपने प्लेजर को बढ़ाने और पेन को कम करने के लिए करते हैं। कई बार हम इच्छाओं को पूरा करने के लिए अनजाने में ही अपनी सीमाओं को पार कर देते हैं। यह सीमाएं वैचारिक , पारिवारिक या सामाजिक हो सकती हैं। ऐसे हालात में हमें खुद ही अंदाजा नहीं रहता कि हम किस रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं लेकिन कई बार जब तक हम इसे समझ पाते हैं तब तक बहुत देर हो जाती है और हमें अपने ही कार्यों पर पछतावा होने लगता है। इससे बचने के लिए जीवन में अपने नियम बनाना और इंद्रियों पर काबू करना जरूरी है। याद रखिए कि इंसान रणभूमि में गिरकर एक बार उठ सकता है लेकिन किसी की नजरों में नहीं , इसलिए कोशिश कीजिए कि किसी की नजरों में न गिरें। किसी की नजरों में गिरना जीवन की सबसे बड़ी क्षति है। आपने जीवन में कई खेल खेले होंगे क्रिकेट , फुटबॉल , कैरम या शतरंज। अब जरा याद कीजिए कि इन खेलों में जीत-हार कौन तय करता है। शायद आप सोच रहे होंगे खेल में प्रदर्शन , आत्मविश्वास और कौशल यह फैसला करते हैं लेकिन यह गलत है , ...